सुप्रीम कोर्ट के फैसले से महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस सरकार को अभयदान मिला है। इससे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र की सियासत के नए बाजीगर बनकर उभरे हैं। अब आने वाले दिनों में सूबे में सियासत का नया रूप देखने को मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शिंदे की सरकार को न कोई खतरा पैदा हुआ और न ही फिलहाल 16 विधायकों की अयोग्यता पर कोई आदेश आया है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने शिंदे सरकार के गठन की प्रक्रिया पर जरूर सवाल उठाए हैं, लेकिन इसके खिलाफ कोई फैसला नहीं दिया है। इससे अब शिंदे और फडणवीस सरकार निर्विवाद रूप से अपना कार्यकाल पूरा कर सकती है। सरकार स्थिर होने के बाद राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार का रास्ता साफ हो गया है। साथ ही सत्तापक्ष उद्धव ठाकरे की शिवसेना के बचे विधायकों पर भी डोरे डाल सकता है। शिंदे गुट के मंत्री उदय सामंत ने कहा है कि उद्धव के बचे 15 विधायक हमारे साथ आने के लिए तैयार हैं। ऐसा होने पर ठाकरे की सियासी जमीन खिसक सकती है और फिर इस झटके से उबर पाना उनके लिए मुश्किल होगा। इसलिए उद्धव ठाकरे के सामने अपना कुनबा बचाए रखने की चुनौती है। सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। इसको लेकर शिंदे-फडणवीस सरकार के समर्थक निर्दलीय विधायक व पूर्व राज्यमंत्री बच्चू कड़ू कहते हैं कि ऑपरेशन में थोड़ी चूक हुई, लेकिन मरीज बच गया। यह सबसे महत्वपूर्ण बात है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने ही मौजूदा सरकार बनाई है। शिंदे-फडणवीस सरकार का गठन संख्याबल के हिसाब से हुआ है। इसलिए विधायकों के निलंबन से संबंधित फैसला इससे अलग नहीं हो सकता।
महाराष्ट्र की सियासत के नए बाजीगर बनकर उभरे एकनाथ शिंदे
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