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मीरास 2018 का 22 दिसंबर को मुंबई में किया गया भव्य आयोजन।

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यूसुफ मंसूरी/Hbt न्यूज नेटवर्क
मुंबई:। पासबान-ए-अदब संस्था की ओर से मीरास 2018 का भव्य आयोजन शनिवार 22 दिसम्बर को मुंबई नरीमन पाईट स्थित यशवंतराव चव्हाण हाल में आयोजित किया गया है। जिसमें देश के मशहूर साहित्यकार मौजूद रहेंगे। संस्था पासबान-ए- अदब की ओर से बताया गया कि विगत एक दशक से देश विदेश के श्रेष्ठ भारतीय भाषा के साहित्यकारों को लोगों के सामने लाकर साहित्य के माध्यम से बंधुत्व का संदेश देने वाली संस्था पासबान-ए-अदब दादासाहेब फालके पुरस्कार विजेता श्री मजरूह सुल्तानपुरी जी की जन्म शताब्दी के अवसर पर उनके सम्मान में शनिवार 22 दिसंबर को यशवंतराव चव्हाण हाल मे मीरास 2018 का भव्य आयोजन किया जा रहा है। मजरूह सुल्तानपुरी एक ऐसा नाम है जिसे उर्दू साहित्य के क्षेत्र में किसी भी परिचय की आवश्यकता नहीं है। मुख्यधारा के सिनेमा में उनके काम और उर्दू कविता में उनका योगदान आज तक संगीत के प्रेमियों द्वारा याद किया जाता है। इस स्तरीय कार्यक्रम में श्री मजरूह सुल्तानपुरी जी की सुनी-सुनाई रचनाओं की प्रस्तुती की जाएगी साथ साथ श्रेष्ठ साहित्य का वाचन और प्रस्तुतिकरण नियत समय पर किया जाएगा ताकि आयोजन की गुणवत्ता, विचारों की मौलिकता, प्रवाह का वेग और प्रस्तुतिकरण की आभा बनी रहे। संस्था पासबान -ए -अदब मौलिक विचारों की कविता के लैबद्द प्रस्तुतिकरण की पक्षधर है, जिसके कारण ये कविताएँ श्रोताओं पर देर तक प्रभाव बनाए रखती है। उन्होंने नौशाद, मदनमोहन, एसडी बर्मन, रोशन, रवि, एन, दत्त, शंकर -जयकिशन, ओपी नाययार, उषा खन्ना, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, अनु मलिक, आरडी बरमन, राजेश रोशन, बप्पीलाहिरी, कल्याणजी से महान अधिकारियों के साथ काम किया है। इनके अलावा आनंदजी, आनंद -मिलिंद और जतिन- ललित और एआर रहमान जैसे सुप्रसिद्ध के साथ कार्य किया है। उन्हें चाहूँगा मैं तुझे (फिल्म दोस्ती) के गीत के लिए 1965 में सर्वश्रेष्ठ गीतकार फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था और उन्हें 1993 मे आजीवन उपलब्धि के लिए भारतीय सिनेमा दादासाहेब फालके पुरस्कार में सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1980 और 1990 के दशक में उनका अधिकांश काम आनंद- मिलिंद के साथ था और उनके सबसे उल्लेखनीय सहयोग फिल्म कयामत से कयामत तक, लाल दुपट्टा मलमल का, लव, कुर्बान और दहक है। संस्था पासबान -ए-अदब महाराष्ट्र शासन द्वारा पंजिकृत सोसायटी एवं ट्रस्ट है जिसका उद्देश्य साहित्य के द्वारा समाज के विविध घटकों के करीब लाकर सशक्त समाज, राष्ट्र और देश का निर्माण है इसी उद्देश्य को लेकर देश के भिन्न-भिन्न शहरों में इस संस्था के द्वारा साहित्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसमें हिन्दी, मराठी, उर्दू साहित्य गजलों के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। कथा, साहित्य, कविता, शोध भारतीय नृत्य एवं गायन भाषा के बदलते स्वरूप, भारतीय भाषा एवं साहित्य के पुस्तकों का मेला भारतीय खान पान जैसे वैशिष्ट आयोजनों द्वारा संस्था न सिर्फ़ प्रौढ़ वर्ग बल्कि नौजवानों को भी भारतीय भाषा और साहित्य की तरफ आकर्षित करती है। बताया गया कि संस्था पासवान- ए -अदब के अध्यक्ष पुलिस अधिकारी श्री कैसर खालिद हैं। श्री खालिद ने अपने लंबे करियर में जहाँ एक ओर नक्सल विरोधी अभियान मे प्रभावी नियोजन में कार्यशीलता के कारण अपना नाम बनाया वहीं पुलिस अधिक्षक, समादेशक, पुलिस उपायुक्त, आपर पुलिस आयुक्त और पुलिस महानिदेशक के रूप के कायदा व सुव्यवस्था, अपराध अनुसंधान, सागरी सुरक्षा, रेलवे सुरक्षा, यातायात व्यवस्थापन और समाज के शोषित वर्गों के संरक्षण के साथ साथ श्रेष्ठ साहित्यिक कृतियों का भी लेखन और सृजन किया है। उनकी पहली पुस्तक 2005 में प्रकाशित हुई, उनकी स्वारचित कविताओं का पहला संग्रह शऊरे असर सन 2015 मे प्रकाशित हुआ। उनकी दुसरी स्वारचित कविता संग्रह दस्ते-जान सन 2016 मे प्रकाशित हुई थी। उन्हें इस सराहनीय कार्य के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है।

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