विदेश मंत्री एस जयशंकर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के तीन दिवसीय दौरे पर है। इस दौरे का मकसद यूएई के साथ भारत के व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना है। जहां उन्होंने सोमवार को गणतंत्र दिवस की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस अवसर पर उन्होंने वहां उपस्थित लोगों को संबोधित भी किय़ा। इस दौरान उन्होंने भारत-यूएई के बीच संबंधों में मजबूती पर जोर दिया।भारत-यूएई और गहरे होंगे संबंध- जयशंकर
एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया बदलती वैश्विक व्यवस्था के साथ एक जटिल और अस्थिर चरण से गुजर रही है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच सहयोग और गहरा होगा उन्होंने कहा कि विश्व एक जटिल और अस्थिर चरण में प्रवेश कर चुका है क्योंकि वैश्विक व्यवस्था वास्तव में बदल रही है। ये ऐसे मौके होते हैं जब नए अवसर पैदा होते हैं और सच्ची दोस्ती बनती है। जब हम वैश्विक हालात पर विचार करते हैं तो हम पाते हैं कि ऐसा बहुत कुछ है जो हम दोनों देशों को एक साथ खींचता है।
यूएई में भारतीयों की बढ़ती संख्या पर की बातचीत
विदेश मंत्री ने कहा कि यूएई को अपना दूसरा घर बताने वाले भारतीयों की संख्या 2015 के 25 लाख से बढ़कर इस समय 40 लाख से अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि 45 लाख भारतीय हर साल सैलानी के रूप में यूएई आते हैं। ये आंकड़े हमारे गर्मजोशी और सौहार्द भरे संबंधों को बताते हैं। उन्होंने पूरी विश्वास के साथ कहा कि भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत और यूएई का सहयोग और भी मजबूत होगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हर साल लगभग 4.5 मिलियन भारतीय पर्यटक यूएई का दौरा करते हैं, जो दोनों देशों के रिश्तों में गर्मजोशी और सौहार्द का संकेत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की प्राथमिकताओं में जीवन को आसान बनाना है, चाहे वह घर हो या विदेश। साथ ही जयशंकर ने यह भी बताया कि इस दशक में भारत और यूएई के रिश्तों में कई सकारात्मक बदलाव आए हैं। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत और यूएई के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते से व्यापार और निवेश बढ़े हैं। साथ ही स्थानीय मुद्रा व्यापार व्यवस्था और फिनटेक तंत्र ने एक नई दिशा दिखाई है। विदेश मंत्री ने अबू धाबी में स्थित बीएपीएस हिंदू मंदिर को बहुलवाद और सहिष्णुता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि भारत और यूएई के शैक्षणिक संबंध भी मजबूत हुए हैं, जिनमें अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली का नया परिसर शामिल है। जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां उसकी आकांक्षाएं और आत्मविश्वास बढ़ा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में हुई प्रगति की बात की। इसके साथ ही जयशंकर ने अंत में कहा कि भारत ने अपने संविधान के माध्यम से अपने नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और समता सुनिश्चित करने का वादा किया था और इसे पूरा करने में काफी हद तक सफलता पाई है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की प्रगति और समृद्धि लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर, बहुलवादी और परामर्शदात्री परंपराओं पर आधारित है।
यूएई-भारत रिश्तों पर बोले जयशंकर: जटिल-अस्थिर चरण में प्रवेश कर चुका विश्व, ऐसे में ही बनती है सच्ची दोस्ती
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