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रघुराम राजन का दावा-फेल हो जाएगी पीएलआई योजना, भारत मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग का हब नहीं

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने पीएलआई योजना पर सवाल उठाए हैं। एक नोट में उन्होंने कहा कि यह ऐसी योजना है जो फेल हो जाएगी। इस योजना में मोबाइल विनिर्माण पर फोकस रखा गया है। लेकिन सच्चाई यह है कि भारत मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग का हब नहीं बना है। उनका कहना है कि इस योजना का कोई असर नहीं दिख रहा है। इसे दूसरे क्षेत्रों में लागू करने से पहले प्रदर्शन की समीक्षा की जानी चाहिए। सरकार ने देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने और रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये के उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की शुरुआत की है। नोट में कहा गया है, केंद्र सरकार को पीएलआई योजना से कितने रोजगार पैदा हुए, रोजगार की लागत कितनी रही और यह कारगर क्यों नहीं रही, इसकी समीक्षा करनी चाहिए। देश में फोन की फिनिशिंग पर पीएलआई सब्सिडी दी जाती है। भारत अब भी मोबाइल फोन के ज्यादातर कलपुर्जे आयात करता है। उनके मुताबिक भारत मोबाइल के प्रमुख कलपुर्जेे में से किसी का निर्यात नहीं करता है। नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बजट में घोषित ई-अपील योजना को शुरू कर दिया है। इससे स्रोत पर टैक्स कटौती (टीडीएस) से संबंधित अपीलों के लंबित मामलों को कम करने में मदद मिलेगी। ई-अपील योजना संयुक्त आयुक्त (अपील) इसके समक्ष दायर या इसे आवंटित या स्थानांतरित की गई अपीलों का निपटान करेंगे। अब करदाताओं के मूल्यांकन आदेश के खिलाफ दायर अपील के मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हो सकेगी। आयकर कानून के तहत टैक्स प्राधिकरण के जारी आदेश को कोई भी करदाता पहले आयुक्त (अपील) के प्रभारी अधिकारी के समक्ष चुनौती दे सकता है। मनी लॉन्डि्रंग को लेकर नियामकों ने अब शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में तीन प्रमुख नियामकों ने बैंकिंग, म्यूचुअल फंड और स्टॉक ब्रोकरों से कहा है कि वे अपनी निगरानी मजबूत करें। नवंबर में एफएटीएफ की होने वाली समीक्षा के पहले कई नियम भी लाए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) भारत के रेगुलेशन और सुपरविजन की नवंबर में समीक्षा करने वाला है। भारत एफएटीएफ नियमों का अनुपालन करता है इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए इसकी तैयारियों में किसी भी दिक्कत से रेटिंग पर असर पड़ सकता है और वैश्विक फर्मों के लिए देश में व्यापार करना महंगा हो सकता है। उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, रेटिंग में कोई भी गिरावट भारत और उसके संस्थानों की वैश्विक वित्तीय संस्थानों के साथ व्यापार की क्षमता प्रभावित कर सकती है। शीर्ष रेटिंग बनाए रखने के लिए भारत के बाजार नियामक ने जनवरी से एफएटीएफ जरूरतों को पूरा करने के लिए नियमों में बदलाव किया है। सेबी ने ब्रोकिंग हाउसों और एसेट मैनेजमेंट कंपनियों में सीईओ को सीधे निगरानी के लिए जिम्मेदार बनाया है। सेबी ने संस्थाओं से यह भी पूछा कि उन्होंने जांच के लिए क्या कदम उठाए हैं।
इलेक्ट्रॉनिक रिपेयर हब के रूप में स्थापित करने के लिए शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से जुड़े आयात-निर्यात नियमों में ढील देने की तैयारी है। इसके जरिये इलेक्ट्रॉनिक्स रिपेयर हब के रूप में भारत खुद को स्थापित करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करेगा। योजना के तहत सरकार आयात और निर्यात की मंजूरी के लिए लगने वाली 10 दिन की अवधि को कम कर एक दिन कर सकती है। आयातित सामानों में से 5% को रिसाइकल के लिए मंजूरी मिल सकती है। सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा दिया है। इससे एपल और शाओमी भारत में कारोबार के लिए आकर्षित हुई हैं। देश में अभी भी आउटसोर्सिंग की मरम्मत के लिए एक उद्योग की कमी है। यह उद्योग 100 अरब डॉलर का हो सकता है। इस पर अभी चीन व मलयेशिया का एकाधिकार है।  सरकार कर अधिकारियों के साथ समय पर मंजूरी के लिए प्रक्रिया को आसान बनाने पर सहमत है।

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