जिस दौर में दक्षिण सिनेमा के सितारों के लिए हिंदी सिनेमा में काम करना बड़ी बात होती थी, उस दौर में अभिनेत्री पद्मिनी ने न सिर्फ हिंदी फिल्मों में काम किया, बल्कि खूब नाम भी कमाया। दिवंगत अभिनेत्री पद्ममिनी दक्षिण की मशहूर अदाकाराओं में शुमार रहीं। उन्हें हिंदी फिल्मों में काम करने वाली पहली साउथ एक्ट्रेस के रूप में भी जाना जाता है। अपने दौर के सुपरस्टार राज कपूर, देवानंद और संजीव कुमार के साथ इन्होंने कई शानदार फिल्में कीं। आज पद्मिनी का जन्मदिन है। 12 जून 1932 को तिरुवनन्तपुरम में जन्मीं पद्मिनी अभिनय के साथ-साथ नृत्य कला में भी पारंगत थीं। वह प्रशिक्षित भारतनाट्यम डांसर थीं। भारत से लेकर अमेरिका तक इन्होंने अपने नृत्य का डंका पीटा। भारतीय सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाली पद्मिनी की प्रतिभा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन्होंने अमेरिका में अपना सबसे बड़ा नृत्यकला केंद्र खोला। आइए जानते हैं इनके बारे में…
बहनों के साथ नृत्य का प्रशिक्षण लिया
तिरुवनन्तपुरम के पूजाप्परा में थंकअप्पन पिल्लई और सरस्वती अम्मा की दूसरी बेटी के रूप में जन्मी पद्मिनी की बड़ी बहन ललिता और छोटी पहन रागिनी भी मशहूर नृत्यांगना रहीं। अपनी बहनों के साथ पद्मिनी ने विधिवत रूप से भरतनाट्यम सीखा, फिर कथकली सीखा। इस तरह यह डांसर बनीं। तीनों बहनें ‘त्रावणकोर बहनें’ के रूप में जानी गईं। साल 1948 में पद्मिनी की पहली हिंदी फिल्म ‘कल्पना’ में आईं। इस फिल्म में इन्हें बतौर डांसर लिया गया। इसके बाद पद्मिनी ने ‘जिस देश में गंगा बहती है’, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘आशिक’, ‘अफसाना’, ‘चंदा और बिजली’, ‘भाई-बहन’, ‘दर्द का रिश्ता’, ‘मस्ताना’, ‘रागिनी’, ‘अमरदीप’, ‘राजतिलक’, ‘परदेसी’ जैसी कई हिंदी फिल्मों में काम किया। पद्मिनी ने दक्षिण भारत और उत्तर भारत के जबरदस्त कलाकारों के साथ काम किया। इनमें राज कपूर, एम. जी रामचंद्रन, शिवाजी गणेशन, राजकुमार, प्रेम नासिर और देवानन्द और शम्मी कपूर जैसे मशहूर अभिनेताओं के नाम शामिल हैं। वर्ष 1989 में इन्होंने एक फिल्म ‘मोहब्बत का पैगाम’ का निर्देशन भी किया था।
भेड़ाघाट में पहली बार हुई थी इनकी फिल्म की शूटिंग
पद्मिनी ने ज्यादा काम तमिल फिल्मों में ही किया। मगर, इनका नाम तब खूब हुआ, जब यह राज कपूर के साथ ‘मेरा नाम जोकर’ और ‘जिस देश में गंगा बहती है’ में नजर आईं। राज कपूर के साथ वर्ष 1962 में आई फिल्म ‘आशिक’ में भी इन दोनों की जोड़ी को खूब सराहा गया था। फिल्म ‘जिस देश में गंगा बहती है’ से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा भी है। इस फिल्म की शूटिंग जबलपुर के भेड़ाघाट में हुई थी। यह ऐसी पहली फिल्म थी, जिसे भेड़ाघाट में फिल्माया गया। इसके बाद तब से आज तक इस जगह पर तमाम फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। बता दें कि रीवा में राज कपूर की ससुराल थी। शुरू से ही मध्य प्रदेश उनका आना-जाना रहा। यहां भेड़ाघाट के प्रति उनका आकर्षण गजब था। उन्होंने ‘जिस देश में गंगा बहती है’ के ‘ओ बसंती पवन पागल…’ गाने की शूटिंग यहीं की, जिसे पद्मिनी पर फिल्माया गया था।
रूस में हुई थी राज कपूर साहब से मुलाकात
पद्मिनी और राज कपूर की मुलाकात का किस्सा भी कम दिलचस्प नहीं है। एक बार राज कपूर मॉस्को यूथ फेस्टिवल में शामिल होने रूस गए थे। वहां पद्मिनी को ‘बेस्ट क्लासिकल डांसर का अवॉर्ड’ अवॉर्ड प्राप्त हुआ था। उनकी डांस परफॉर्मेंस देखकर राज कपूर हैरान रह गए। उनको लगा यही तो वह लड़की है, जिसकी उन्हें तलाश थी। राज कपूर ने तभी अपनी फिल्मों में पद्मिनी को मौका देने का मन बना लिया और इस तरह पद्मिनी की किस्मत पलट गई।
वैजयंती माला से होती थी तुलना
पद्मिनी की तुलना अक्सर वैजयंती माला के साथ की जाती थी। दोनों ही शास्त्रीय संगीत में पारंगत थीं। दोनों ही जबरदस्त अदाकाराएं और दोनों ने ही राज कपूर के साथ अच्छी फिल्मों में काम किया था। दोनों की प्रतिस्पर्धा हमेशा चर्चा में रही।
शादी करके अमेरिका बस गईं
अपने पूरे करियर में ढाई सौ से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाली पद्मिनी ने अपने करियर के बीच में ही शादी का फैसला किया। वर्ष 1962 में डॉ. रामचंद्रन के साथ ब्याहकर वह अमेरिका चली गईं। अमेरिका के न्यूजर्सी शहर में इन्होंने एक स्कूल चलाया, जिसका नाम रखा ‘पद्मिनी स्कूल ऑफ आर्ट्स’। इनका स्कूल काफी मशहूर हुआ और अमेरिका में भारतीय शास्त्रीय स्कूलों में पद्मिनी जी के इस स्कूल का नाम आया। 24 सितंबर वर्ष 2006 को दिल का दौरा पड़ने से अभिनेत्री पद्मिनी का निधन हो गया। मगर इनके अभिनय और नृत्य की विरासत आज भी कायम है।