रिजर्व बैंक की ओर से गुरुवार को इस महीने हुई एमपीसी की बैठक के मिनट्स जारी किए गए। यह बैठक 6 से 8 फरवरी के बीच हुई थी। बैठक के दौरान रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने का भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का काम अभी खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि नीतिगत मोर्चे पर जल्दबाजी में उठाया गया कोई भी कदम महंगाई के मामले में अब तक मिली सफलता को कमजोर कर सकता है। फरवरी में हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के ब्योरे के अनुसार, दास ने कहा कि इस मोड़ पर मौद्रिक नीति समिति को सतर्क रहना चाहिए और यह नहीं मानना चाहिए कि मुद्रास्फीति के मोर्चे पर हमारा काम खत्म हो गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस महीने की शुरुआत में प्रमुख ब्याज दर में यथास्थिति बनाए रखने के लिए मतदान करते हुए यह टिप्पणी की थी। बैठक के ब्योरे के अनुसार, गवर्नर ने कहा, ”चूंकि बाजार नीतिगत दरों में कटौती की प्रत्याशा में केंद्रीय बैंक आगे चल रहे हैं, ऐसे में समय से पहले उठाया गया कोई भी कदम अब तक हासिल सफलता को कमजोर कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘लंबे समय तक ऊंची विकास दर बनाए रखने के लिये महंगाई पर नियंत्रण और वित्तीय स्थिरता जरूरी है। मौजूदा समय में नीतिगत रूप से अनिवार्य यह है कि वृद्धि के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए टिकाऊ आधार पर 4 प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित किया जाए। एमपीसी के छह में से पांच सदस्यों ने अल्पकालिक बेंचमार्क ऋण दर को 6.5 प्रतिशत पर रखने के पक्ष में मतदान किया था। एमपीसी में बाहरी सदस्य जयंत आर वर्मा ने रेपो दर में 25 आधार अंकों की कमी करने और रुख को तटस्थ में बदलने का पक्ष रखा था।
एमपीसी के एक सदस्य ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती के पक्ष में दिया वोट
हालांकि एमपीसी मेंबर जयंत वर्मा ने दावा किया किया कि महंगाई के लक्ष्य से छेड़छाड़ किए बिना ब्याज दरो में कटौती की संभावना तलाशी जा सकती है। वर्मा ने कहा, “इस बात का समय आ गया है कि एमपीसी यह संदेश दे कि वह महंगाई और विकास दोनों को गंभीरता से लेता है।” वर्मा ने ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती के पक्ष में वोट दिया। बैठक के ब्योरे के अनुसार रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर और एमपीसी के सदस्य माइकल देवव्रत पात्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति को प्रतिबंधात्मक रहना चाहिए और मुद्रास्फीति में गिरावट का दबाव बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा था कि जब मुद्रास्फीति कम होगी और स्थायी रूप से लक्ष्य के करीब रहेगी, तभी किसी कटौती के बारे में सोचना चाहिए।