हर साल पेश होने वाले बजट में सबसे ज्यादा निगाहें इसी बात पर लगी रहती है कि टैक्स स्लैब में कोई बदलाव हुआ है या नहीं। लेकिन बुधवार को जैसे ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद भवन में बजट पेश करते हुए टैक्स स्लैब में बदलाव की बात कही, उसी के साथ सियासी गलियारों में इस बजट के चुनावी समीकरणों वाले मायने तलाशे जाने लगे। राजनीतिक दलों से लेकर सियासत को समझने वालों ने इस बजट को न सिर्फ इस साल होने वाले विधानसभा के चुनाव, बल्कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों का पूरा रोड मैप तैयार किया है। बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए बजट के सियासी पहलू को समझाते हुए राजनैतिक विश्लेषक कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस बजट से इस साल होने वाले नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव सधने वाले हैं। लेकिन चुनौती यह भी है कि इस बजट को जनता के बीच भाजपा नेता और जनप्रतिनिधि किस तरीके से पहुंचा पाते हैं और उसका कितना लाभ ले पाते हैं। राजनैतिक विश्लेषक और चुनावी सर्वे करने वाली एक एजेंसी से जुड़े वरिष्ठ सदस्य दिगंबर मेहरोत्रा कहते हैं कि बजट के सभी पहलुओं को अगर आप देखें, तो आम आदमी के लिए और देश की गरीब जनता के लिए इस बजट में बहुत कुछ है। वह कहते हैं कि सबसे ज्यादा राहत तो टैक्स के तौर पर मिलने वाली है। मल्होत्रा कहते हैं कि टैक्स को लेकर हर बजट में सबसे ज्यादा निगाहें लगी होती हैं। इस बजट में केंद्र सरकार ने जनता के मनमुताबिक टैक्स में राहत भी दी है। जिससे नौकरीपेशा लोगों के साथ साथ हर तबके के टैक्सपेयर्स को वित्तीय तौर पर फायदा भी होने वाला है। राजनीतिक विश्लेषक सुदर्शन कहते हैं कि निश्चित तौर पर इस साल होने वाले नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में नई टैक्स व्यवस्था को भाजपा चुनावी फायदे के तौर पर देख सकती है। वह कहते हैं कि सरकार को भी इसका अंदाजा भी था। यही वजह है कि अपने इस कार्यकाल के आखिरी पूर्व बजट में सरकार ने सबसे बड़ी घोषणा भी की। सुदर्शन कहते हैं जिस तरीके से टैक्स स्लैब में बदलाव हुआ, उसे लेकर पुराने ढांचे और नए ढांचे को लेकर के तमाम तरीके की चर्चाएं हो रही हैं। लोगों के बीच में असमंजस है। उसे दूर करने में भाजपा नेता और जनप्रतिनिधि कितनी मेहनत करते हैं यह भी बहुत महत्वपूर्ण है।
कई योजनाओं का बढ़ाया बजट
देश के अलग-अलग राज्यों में अर्बन मिशन से जुड़े सदानंद पाठक के मुताबिक केंद्र सरकार ने अपनी योजनाओं में जिस तरीके से बजट बढ़ाकर जनता को सीधे लाभ पहुंचाने की कोशिश की है, वह भी आने वाले चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहुंचा सकता है। उनका कहना है कि चाहे पीएम आवास योजना का बढ़ा हुआ बजट हो या प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन की शुरुआत। अंत्योदय और प्राथमिकता वाले परिवार को एक साल के लिए मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति भी केंद्र सरकार के लिए सियासी बूस्टर डोज ही है। पाठक कहते हैं कि बीते कुछ चुनावों के विश्लेषण से यही पता चलता है कि सरकारी योजनाओं से जनता को सीधा लाभ हुआ है और उसी के चलते भारतीय जनता पार्टी को सियासत में फायदा भी मिल रहा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सरकार ने जिस तरीके से कृषि और सहकारिता में डेवलपमेंट का एक खाका खींचकर देश के सामने रखा है, उसका भी लाभ केंद्र सरकार को मिलेगा। इसके पीछे की वजह बताते हुए राजनीतिक विश्लेषक सुदर्शन कहते हैं कि दरअसल सरकार ने स्टार्टअप्स और रिसर्च के अलावा श्री अन्न (मोटे अनाज) क्षेत्र में जिस तरीके से खुद को दुनिया में आगे रखने की योजना बनाते हुए बजट जारी किया है वह भी लोगों से सीधे तौर पर जुड़ रहा है। इसके अलावा सुदर्शन कहते हैं कि कर्नाटक में सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष बजट जारी किया गया है। वह कहते हैं कि चूंकि इस साल कर्नाटक में विधानसभा के चुनाव हैं तो इसको भी सियासी नजरिए से दूर नहीं किया जा सकता है। इस बजट को लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे कहते हैं कि अमृतकाल का यह बजट देश के लिए सबसे फायदे का बजट है। वह कहते हैं कि इस बजट से भारत की न सिर्फ नींव मजबूत होगी बल्कि लोगों का जीवन स्तर भी सुधरेगा। समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा कि यह पूरी तरीके से चुनावी बजट है। उनका कहना है कि इस बजट में किसानों के लिए कुछ भी नहीं है। ना किसानों की एमएसपी की बात की गई है और ना ही गांव की बात की गई है।