देश में हर रोज स्कैम हो रहे हैं। हर दिन तरीके बदल रहे हैं। हैकर्स लोगों को चूना लगाने के लिए पैंतरा भी बदल रहे हैं। आए दिन लोगों को चूना लगाया जा रहा है। अब एक नए तरह का स्कैम Lounge Pass एप के जरिए हो रहा है। एयरपोर्ट पर भरोसा करके लोग लाउंज सुविधा के लिए Lounge Pass एप को डाउनलोड कर रहे हैं लेकिन यह एप लोगों की जासूसी कर रहा है और उनके अकाउंट से पैसे भी निकाल रहा है। Lounge Pass को लेकर कई लोगों ने सोशल मीडिया पर शिकायत की है। X पर एक यूजर ने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें एक महिला को इस स्कैम का शिकार बताया गया। यह पोस्ट अब वायरल हो चुकी है और इसे 5,000 से अधिक लाइक्स और 2,100 से अधिक रीपोस्ट्स मिले हैं। महिला का कहना है कि यह घटना 29 सितंबर को बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट में हुई। उन्होंने बताया कि वह अपना क्रेडिट कार्ड घर पर भूल गई थीं, लेकिन उसकी एक फोटो उनके पास थी। लाउंज एरिया में प्रवेश करने के लिए उन्होंने लाउंज के कर्मचारियों को क्रेडिट कार्ड की तस्वीर दिखाई। वहां के अटेंडेंट्स ने कथित रूप से उन्हें ‘लाउंज पास’ एप डाउनलोड करने के लिए कहा। पीड़िता ने एक व्हाट्सएप चैट का स्क्रीनशॉट भी साझा किया, जिसमें स्कैमर्स ने उन्हें एप डाउनलोड करने के लिए एक यूआरएल भेजा। उन्होंने कथित तौर पर पीड़िता से “सुरक्षा कारणों” से स्क्रीन शेयर करने और फेस स्क्रीन (चेहरे का स्कैन) करने को कहा। इसके बाद उन्हें लाउंज का एक्सेस दिया गया। पीड़िता का दावा है कि कुछ हफ्तों के बाद लोगों ने उन्हें बताया कि उनके कॉल पर कॉल नहीं लग रहा है और लग रहा है तो कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है और कभी-कभी कॉल उठाने पर एक “पुरुष” बोलता है। उन्हें इस स्कैम का पता तब चला जब उनके क्रेडिट कार्ड का बिल आया और उन्होंने एक PhonePe खाते में 87,125 रुपये का लेन-देन देखा। उनकी जानकारी के बिना उनके फोन की सेटिंग्स बदल कर कॉल फॉरवर्डिंग चालू कर दी गई थी।
साइबर सिक्योरिटी ने की इस स्कैम की पुष्टि
साइबर सुरक्षा कंपनी CloudSEK की थ्रेट रिसर्च टीम ने अपनी ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (ONST) जांच के माध्यम से इस घोटाले की पुष्टि की। शोधकर्ताओं ने पाया कि कई डोमेन लाउंज पास एप को शेयर करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे थे। जांच से यह पता चला कि यह स्कैम एक एसएमएस चोरी करने वाले एप के जरिए किया गया था, जो डिवाइस पर इंस्टॉल होते ही कंट्रोल कर लेता है। स्कैमर्स इस एप के माध्यम से संवेदनशील जानकारी चुराते हैं और एसएमएस व कॉल्स पर कंट्रोल कर लेते हैं। इसके बाद वे बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं और ओटीपी को इंटरसेप्ट कर लेते हैं, चाहे वह टेक्स्ट संदेश हो या कॉल के माध्यम से भेजा गया हो। रिपोर्ट के अनुसार जुलाई और अगस्त 2024 के बीच लगभग 450 लोगों ने इस एप को इंस्टॉल किया और उनके साथ 9 लाख रुपये से अधिक की ठगी की गई।