महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को दलबदल कानून की समीक्षा समिति का अध्यक्ष बनाए जाने की बात प्रदेश में विपक्ष को पसंद नहीं आ रही है। शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे एवं राकांपा शरद पवार गुट के नेता जीतेंद्र आह्वाड के तीखे सुर सुनने को मिले, जिसके बाद अब नार्वेकर की भी जवाबी प्रतिक्रिया सामने आई है।
नार्वेकर ने किया पलटवार
नार्वेकर ने पलटवार करते हुए कहा कि शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे में साहस हो तो बताएं कि शिवसेना विधायकों से संबंधित अयोग्यता याचिका पर उनके फैसले में क्या गैरकानूनी था। वह बोले, ‘मेरे खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी करने की बजाय, उद्धव जी और अव्हाड के अंदर यह साबित करने का साहस नहीं है कि (अयोग्यता याचिकाओं पर) मैंने जो निर्णय लिया है उसमें क्या गैरकानूनी है। संजय राउत के साथ साहस के बारे में कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि इस बात पर गर्व करने के बजाय कि राज्य के किसी व्यक्ति को राष्ट्रीय स्तर का काम पूरा करने को मिल रहा है, उद्धव ठाकरे आलोचना कर रहे हैं। नार्वेकर ने कहा, ‘ऐसा कृत्य केवल वही लोग कर सकते हैं जिनके मन में राज्य के प्रति कोई स्नेह या गौरव नहीं है।’ दरअसल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दलबदल विरोधी कानून की समीक्षा करने के लिए एक समिति के प्रमुख के रूप में राहुल नार्वेकर को चुना है। इसके बाद से ठाकरे ने नार्वेकर की आलोचना शुरू कर दी। ठाकरे ने पूछा था कि क्या यह कदम ‘देश में लोकतंत्र को खत्म करने की दिशा में अगला कदम’ है’। वहीं दूसरी ओर उनके बेटे और पूर्व राज्य मंत्री आदित्य ठाकरे ने भी मजाकिया अंदाज से पूछा था कि क्या नार्वेकर को समिति का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया था, क्योंकि उन्हें पांच साल की अवधि में तीन दलों में शामिल होने का अनुभव है।
संजय राउत और अव्हाड ने भी नहीं छोड़ी कोई कसर
शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत और शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जितेंद्र अव्हाड ने भी नार्वेकर को ऐसी समिति का प्रमुख बनाने के कदम की आलोचना की थी।