महाराष्ट्र में इस साल के अंत क विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बारामती से चुनाव नहीं लड़ने के संकेत दिए हैं। इस पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के सांसद संजय राउत ने चुटकी ली। उन्होंने कहा कि अजित पवार को अपने कुछ राजनीतिक कामों पर पछतावा करने का कोई मतलब नहीं है। साथ ही दावा किया कि एनसीपी नेता आगामी विधानसभा चुनाव में अपने गृह क्षेत्र बारामती से हार जाएंगे। दरअसल, अजित पवार ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी चचेरी बहन और एनसीपी (एसपी) नेता सुप्रिया सुले, जो उनके चाचा शरद पवार की बेटी हैं, के खिलाफ अपनी पत्नी सुनेत्रा को मैदान में उतारकर गलती की थी और कहा था कि राजनीति घर में नहीं घुसनी चाहिए। अजित पिछले साल एनसीपी के कुछ अन्य नेताओं के साथ राज्य में शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे शरद पवार द्वारा स्थापित पार्टी में विभाजन हो गया था। अजित पवार ने रविवार को कहा था कि वह एक विधायक के रूप में अपने द्वारा किए गए विकास के कामों से संतुष्ट हैं। उन्होंने आगे कहा था कि बारामती के लोगों को एक बार उनके अलावा कोई विधायक मिलना चाहिए ताकि वे तुलना कर सकें। बता दें, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख सन् 1991 से बारामती से विधायक हैं। 2019 के विधानसभा चुनावों में, उन्होंने भाजपा के गोपीचंद पडलकर के खिलाफ 1.65 लाख मतों के रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल की थी।
‘पश्चाताप करने का कोई मतलब नहीं’
राज्य में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने हैं। इस बीच, उपमुख्यमंत्री के बयान के बारे में पूछे जाने पर संजय राउत ने कहा, ‘उन्होंने जो अपने चाचा शरद पवार और उनकी पार्टी के साथ किया है उसके बारे में अब पश्चाताप करने का कोई मतलब नहीं है। अजित पवार निश्चित रूप से बारामती विधानसभा चुनाव हारेंगे।’ राज्यसभा सांसद ने दावा किया कि अजित पवार ने एनसीपी और पवार परिवार में फूट डाल दी। यहां तक कि उन्होंने उनकी (शरद पवार की) पार्टी और चुनाव चिह्न भी छीन लिया। उन्होंने अपने चाचा की पीठ में छुरा घोंपा जो उनके लिए पिता के समान हुआ करते थे। संजय राउत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधा, जो फिलहाल मुंबई के दौरे पर हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें डर है कि भाजपा नेता राजनीतिक और वित्तीय रूप से मुंबई को कमजोर करना जारी रखेंगे। संगठनों और संस्थानों जैसी अच्छी चीजों को मुंबई से गुजरात स्थानांतरित करने का लगातार प्रयास किया जाता रहा है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र, जो मुंबई में होना था, उसे गुजरात स्थानांतरित कर दिया गया है। हम भाजपा नेताओं की ऐसी नीतियों के खिलाफ हैं।’