कथित पेपर लीक के कारण यूजीसी-नेट 2024 परीक्षा रद्द करने और नीट के आयोजन के दौरान पहचानी गई अन्य गड़बड़ियों को लेकर चौतरफा आलोचनाओं के बीच शिक्षा मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के कामकाज पर फिर से विचार करना है, जो देश में इस तरह की प्रतिस्पर्धी स्तर की परीक्षाएं आयोजित करने वाली शीर्ष संस्था है। समिति ने अपनी रिपोर्ट एक्शन टेकन रिपोर्ट के तहत इसे सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “…एनटीए में सुधार के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। एक्शन टेकन रिपोर्ट के तहत इसे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने रिपोर्ट प्रस्तुत कुछ मुख्य बिंदुओं साझा करते हुए कहा,” 2013-14 से ज्यादा स्कूल अभी 2023-24 में है। स्कूल में बिजली का जिक्र करते हुए कहा, कि पहले 53% स्कूलों में बिजली थी लेकिन अब 91.8% स्कूलों में बिजली है…” हाल में ही, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उच्च शिक्षा और छात्रों से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला गया, जिसमें ‘फेलोशिप’ में वृद्धि और कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) के केंद्रीकरण की मांग शामिल है। एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ज्ञापन में छात्रवृत्ति, फेलोशिप, प्रवेश परीक्षा, शिक्षा का व्यावसायीकरण, छात्र संघ चुनाव और विश्वविद्यालयों में प्रशासनिक सुधार जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
समिति ने सुप्रीम कोर्ट में सौंपी अपनी रिपोर्ट, धर्मेंद्र प्रधान ने कहा- 91.8% स्कूलों में अब बिजली है
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