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सीरिया में संदिग्ध रासायनिक हथियारों से जुड़े ठिकानों को बनाया निशाना, रॉकेट भी किए तबाह

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इस्राइल ने सोमवार को कहा है कि उसने सीरिया में संदिग्ध रासायनिक हथियारों से जुड़े एक ठिकाने को निशाना बनाया है। इतना ही नहीं इस्राइली सेना ने उन ठिकानों को भी निशाना बनाया है, जहां सीरिया के लंबी दूरी तक मार करने वाले रॉकेट रखे थे। गौरतलब है कि सीरिया से बशर अल-असद के भागने और वहां विद्रोही गुटों के कब्जे के बाद सीरियाई सेना के हथियारों के गलत हाथों में पड़ने का खतरा पैदा हो गया था। इस्राइल ने अपने ऊपर दिख रहे इसी खतरे के मद्देनजर सीरिया में यह हमले बोले। इस्राइल के विदेश मंत्री गिडियोन सार ने कहा, “हमारा इकलौता हित इस्राइल और उसके नागरिकों की सुरक्षा है। इसलिए हमने सीरिया में कूटनीतिक हथियारों की प्रणालियों, बचे हुए रासायनिक हथियार और लंबी दूर तक मार करने वाली मिसाइल और रॉकेट वाले ठिकानों पर हमला कर दिया।”
नेतन्याहू कह चुके हैं सीरिया को शांति का हाथ बढ़ाने की बात
सीरिया में बशर अल-असद की सरकार के पतन के बाद इस्राइल ने विद्रोही गुटों को लेकर प्रतिक्रिया दी थी। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि यह पश्चिम एशिया के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। असद शासन का पतन और दमिश्क में तानाशाही का खत्म होना एक बड़ा मौका है, लेकिन इसके साथ ही कड़े बड़े खतरे भी हो सकते हैं। नेतन्याहू ने कहा कि वह इस्राइल की तरफ से सीरिया के उन द्रूज, कुर्द, ईसाई और मुस्लिम समुदायों के साथ शांति का हाथ बढ़ाना चाहते हैं, जो इस्राइल के साथ शांति से रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा, यह पतन (असद सरकार का गिरना) हमारी हिजबुल्ला और ईरान के खिलाफ की गई कड़ी कार्रवाई का सीधा नतीजा है, जो असद के मुख्य समर्थक थे। इसने उन सभी को प्रेरित किया जो इस तानाशाही और दमन से मुक्ति पाना चाहते थे। लेकिन इसका मतलब यह भी है कि हमें संभावित खतरों के खिलाफ कदम उठाने होंगे। इनमें से एक खतरा 1974 में इस्राइल और सीरिया के बीच हुए सेनाओं के पृथक्ककरण पर समझौते के टूटने का भी है।