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स्कूलों में पर्व के दौरान भेदभाव और शारीरिक दंड पर रोक लगाएं राज्य, एनसीपीसीआर ने जारी किए निर्देश

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शीर्ष बाल अधिकार निकाय राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों को निर्देश जारी कर आगामी त्यौहारी सीजन के दौरान बच्चों के खिलाफ शारीरिक दंड और भेदभाव की घटनाओं को रोकने का आग्रह किया है। निर्देश में स्कूलों में त्योहार समारोहों के दौरान बच्चों के खिलाफ शारीरिक दंड और भेदभाव को रोकने के लिए तत्काल उपाय करने का आह्वान किया गया है। यह कार्रवाई रक्षा बंधन जैसे त्योहारों के दौरान राखी, तिलक या मेहंदी पहनने जैसी सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं में भाग लेने के लिए छात्रों को परेशान किए जाने की कई रिपोर्टों के बाद की गई है।

प्रियांक कानूनगो ने पत्र में क्या लिखा?
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने 8 अगस्त को लिखे पत्र में त्योहारों के दौरान स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों द्वारा बच्चों को परेशान किए जाने और उनके साथ भेदभाव किए जाने की रिपोर्टों पर चिंता व्यक्त की। पत्र में उन घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है, जिनमें बच्चों को त्योहारों के पारंपरिक प्रतीक जैसे राखी, तिलक या मेहंदी लगाने की अनुमति नहीं दी गई और इसके परिणामस्वरूप उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से प्रताड़ित किया गया। कानूनगो ने आरोप लगाया कि इस तरह की हरकतें मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTI) अधिनियम, 2009 की धारा 17 का उल्लंघन करती हैं, जो स्कूलों में शारीरिक दंड पर रोक लगाती है। पत्र में लिखा है, “त्योहारों का मौसम नजदीक आने के साथ ही यह जरूरी है कि स्कूल ऐसी कोई भी गतिविधि न करें जिससे बच्चों को किसी भी तरह के शारीरिक दंड या भेदभाव का सामना करना पड़े।”
एनसीपीसीआर ने अनुरोध किया कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को तत्काल निर्देश जारी करें। आयोग ने इस संबंध में जारी आदेश की एक प्रति के साथ 17 अगस्त, 2024 तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा। बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) अधिनियम 2005 के तहत स्थापित राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) महत्वपूर्ण बाल संरक्षण कानूनों के कार्यान्वयन की देखरेख के लिए जिम्मेदार है। इसमें यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 की निगरानी शामिल है।