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हमले से हैरान थी यूपीए सरकार, फैसले लेने में भी दिखी कमजोर… पूर्व कैबिनेट सचिव ने किया खुलासा

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मनमोहन सरकार में कैबिनेट सचिव रह चुके केएम चंद्रशेखर ने 26/11 मुंबई हमले को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि हमले के समय केंद्र सरकार को पता ही नहीं था कि केंद्रीय स्तर पर क्या कदम उठाने हैं। इससे केंद्र सरकार में निर्णय लेने की क्षमता की कमी उजागर हुई थी। उन्होंने कहा है कि हमले के बाद कोई वास्तविक स्पष्टता नहीं थी कि केंद्रीय स्तर पर कौन क्या करेगा। पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर ने अपनी किताब ‘As good as my word’ में यूपीए सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(NSA) की स्थिति के बारे में भी कई खुलासे किए हैं। उन्होंने कहा है कि मुंबई हमले के बाद भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी। पूर्व कैबिनेट सचिव चंद्रशेखर ने अपनी किताब में लिखा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद सरकार का सही निर्णय था। हालांकि, उन्हें सुरक्षा संबंधी मामलों में स्वतंत्र न रखा जाना भ्रम की स्थिति को पैदा करता था। चंद्रशेखर ने कहा, सरकार ने NSA और कैबिनेट सचिव के बीच जिम्मेदारियों और शक्तियों का बंटवारा कर दिया। इससे यह भ्रम उत्पन्न हो गया कि सुरक्षा संबंधित मामलों में एनएसए और कैबिनेट सचिव की भूमिका और अधिकार क्या हैं। उन्होंने कहा, 26/11 के हमलों ने एक गंभीर आपात स्थिति में निर्णय लेने में क्षमता पर कमजोरी को भी उजागर किया। पूर्व कैबिनेट सचिव ने कहा, आम तौर पर खुफिया एजेंसियां किसी इलाके से मिली जानकारियों को गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय या सशस्त्र बलों के साथ साझा करती हैं। वह कैबिनेट सचिव को इसकी जानकारी नहीं देती हैं। ऐसे में कैबिनेट सचिव को उस क्षेत्र की जमीनी हकीकत के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। ऐसे में पर्याप्त जानकारी के बिना कैबिनेट सचिव कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। चाहे वह आतंकवादी हमला हो उग्रवादी हमला। केएम चंद्रशेखर ने अपनी किताब में लिखा जब मुंबई में आतंकवादी हमला हुआ तो तो केंद्रीय स्तर पर कौन क्या करेगा, इस बारे में कोई स्पष्टता ही नहीं थी। कानून और व्यवस्था भारतीय संविधान के तहत एक राज्य का विषय है और केंद्रीय हस्तक्षेप केवल संबंधित राज्य सरकार के अनुरोध पर ही हो सकता है। ऐसे में इस अधिनियम से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। उन्होंने लिखा, मैं इस संकट से तत्काल खत्म करना चाहता था, लेकिन मेरे पास न तो कोई खुफिया जानकारी थी और न ही जमीनी हकीकत का पता था कि कि देर रात तक मुंबई में वास्तव में क्या हो रहा था।

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