केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध स्कूलों में छठी से दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को अब हर विषय में आपदा प्रबंधन का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। इसका उद्देश्य छात्रों को आपदाओं की अवधारणा, उनके कारणों, शमन उपायों के बारे में शिक्षित करना है। वहीं, आपदाओं की घटना को कम करने के प्रति जागरुकता विकसित करना है। हालांकि, आपदा प्रबंधन कई वर्षों से सीबीएसई पाठ्यक्रम का हिस्सा रहा है, लेकिन समय की मांग को देखते हुए पाठ्यक्रम में विभिन्न विषयों के साथ आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) की नवीनतम अवधारणा को एकीकृत किया है। इस पाठ्यक्रम में एकीकृत करने से पर्यावरण, आपदाओं से जुड़े जोखिमों और छात्रों व शिक्षकों के बीच तैयारियों की आवश्यकता समझ सकेंगे। डीआरआर पाठ्यक्रम छात्रों को आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना विकसित करने, आपातकालीन आपूर्ति किट एक साथ रखने व अभ्यास पर केंद्रित है। सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस पाठ्यक्रम का एक अन्य उद्देश्य नागरिक जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित करना है।
छात्र आपदा के बारे में विषय वार जानेंगे
प्रधानाचार्य को दिशा-निर्देश दिए हैं कि सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के लिए निर्धारित एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों में कक्षा-वार और विषय-वार इस पाठ्यक्रम को पढ़ाया जाए। विषय शिक्षकों द्वारा कक्षाओं में आपदा जोखिम न्यूनीकरण के बारे में जागरूकता पैदा की जाएगी। इन पाठों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण विषयों से जोड़ने के लिए कक्षा छठी से दसवीं के पांच मुख्य विषयों (अंग्रेजी, हिंदी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान) में शामिल किया जाए। इनकी गतिविधि आधारित नमूना पाठ योजनाएं बनाई गई हैं। उदाहरण के लिए विज्ञान कक्षाओं में शिक्षक प्राकृतिक आपदाओं और उनके वैज्ञानिक कारणों पर चर्चा कर सकते हैं, जबकि सामाजिक अध्ययन में वे आपदाओं के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का पता लगा सकते हैं।