तमिलनाडु में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने मंगलवार को बताया कि भाषा में बाधा के कारण राज्य सरकार को कम निवेश मिल रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों पर हिंदी सीखने के लिए दबाव नहीं बनाया जा रहा है, बल्कि उन्हें अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए एक अतिरिक्त भाषा सीखने के लिए कहा जा रहा है। चेन्नई में भाजपा मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए अन्नामलाई ने ‘तमिलनाडु ग्लोबल इंवेस्टर्स मीट 2024’ पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘2023 में उत्तर प्रदेश ने भी इसी तरह की बैठक आयोजित की थी और 33 लाख करोड़ से ज्यादा के एमओयू पर हस्ताक्षर किया था, जो कि तमिलनाडु के अबतक के निवेश से पांच गुणा ज्यादा है। वहीं 2022 में कर्नाटक ने नौ लाख करोड़ से ज्यादा का निवेश किया था।’ उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार को अबतक प्राप्त किए गए निवेश पर घमंड करना बंद करना होगा और अन्य राज्यों से बेहतर करने के लिए कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है। हाल ही में संपन्न ‘तमिलनाडु ग्लोबल इंवेस्टर्स मीट 2024’ में 631 एमओयू पर हस्ताक्षर करने के साथ निवेशकों द्वारा 26,90.657 नौकरियों और 6,64,180 करोड़ की निवेश प्रतिबद्धता का वादा किया गया है।
अभिनेता विजय सेतुपति के बयान पर अन्नामलाई ने दी प्रतिक्रिया
अभिनेता विजय सेतुपति ने कहा कि तमिलनाडु के लोग किसी भी भाषा को सीखने के खिलाफ नहीं है, लेकिन वे सिर्फ ये कह रहे हैं कि उनपर हिंदी नहीं थोपी जानी चाहिए। अन्नामलाई ने इसपर कहा, ‘विजय सेतुपति को टिप्पणी करने और जिस भाषा में उनका मन हो उसमें करने का पूरा अधिकार है। लेकिन उन्हें भी यह समझना होगा कि ऐसी टिप्पणियों पर भी टिप्पणी आती है।’ अन्नामलाई ने कहा, ‘उत्तर भारत की कई कंपनियां देशभर में भर्ती कर रही है। कई हिंदी भाषी लोग चेन्नई की जगह बंगलूरू में काम करना पसंद करते हैं, क्योंकि यहां उन्हें तमिल में संवाद करना पड़ता है और इसी वजह से हमें कम निवेश मिल रहा है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘जहां तक मेरी राय है, जो लोग हिंदी सीखना चाहते हैं, वे सीख सकते हैं और बाकी लोग इसे अनदेखा कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी किसी पर हिंदी सीखने के लिए कोई दबाव नहीं डाला है। यहां तमिल और अंग्रेजी सीखने की जरूरत है और तीसरी भाषा वैकल्पिक होती है। होसुर के पास लोग वैकल्पिक भाषा के तौर पर कन्नड़ सीखते हैं। वहीं कोयंबटूर में लोग मलयालम सीखते हैं।’ भाजपा नेता ने कहा कि लोगों को तीन-चार भाषाएं सीखने की जरूरत है। अगर उन्हें हिंदी पसंद नहीं है तो वे फ्रेंच या जर्मन सीखकर विदेशों में काम करने जा सकते हैं।
अभिनेता विजय सेतुपति ने कहा कि तमिलनाडु के लोग किसी भी भाषा को सीखने के खिलाफ नहीं है, लेकिन वे सिर्फ ये कह रहे हैं कि उनपर हिंदी नहीं थोपी जानी चाहिए। अन्नामलाई ने इसपर कहा, ‘विजय सेतुपति को टिप्पणी करने और जिस भाषा में उनका मन हो उसमें करने का पूरा अधिकार है। लेकिन उन्हें भी यह समझना होगा कि ऐसी टिप्पणियों पर भी टिप्पणी आती है।’ अन्नामलाई ने कहा, ‘उत्तर भारत की कई कंपनियां देशभर में भर्ती कर रही है। कई हिंदी भाषी लोग चेन्नई की जगह बंगलूरू में काम करना पसंद करते हैं, क्योंकि यहां उन्हें तमिल में संवाद करना पड़ता है और इसी वजह से हमें कम निवेश मिल रहा है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘जहां तक मेरी राय है, जो लोग हिंदी सीखना चाहते हैं, वे सीख सकते हैं और बाकी लोग इसे अनदेखा कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी किसी पर हिंदी सीखने के लिए कोई दबाव नहीं डाला है। यहां तमिल और अंग्रेजी सीखने की जरूरत है और तीसरी भाषा वैकल्पिक होती है। होसुर के पास लोग वैकल्पिक भाषा के तौर पर कन्नड़ सीखते हैं। वहीं कोयंबटूर में लोग मलयालम सीखते हैं।’ भाजपा नेता ने कहा कि लोगों को तीन-चार भाषाएं सीखने की जरूरत है। अगर उन्हें हिंदी पसंद नहीं है तो वे फ्रेंच या जर्मन सीखकर विदेशों में काम करने जा सकते हैं।